Tuesday, 10 January 2017

ज़मीर बोलता है, ऐतबार बोलता है shayari....

ज़मीर बोलता है, ऐतबार बोलता है,
मेरी ज़ुबान से परवरदिगार बोलता है..

मैं "मन की बात" बहुत "मन" लगा के सुनता हूँ,
ये तू नहीं है, तेरा इश्तेहार बोलता है..

कुछ और काम तो जैसे उसे आता ही नही.. लेकिन,  
वो "झूठ" बहुत शानदार बोलता है..

तेरी ज़ुबान कतरना बहुत ज़रूरी है,
तुझे ये मर्ज़ है कि, तू बार बार बोलता है.. !!!

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