1.पत्थर की मूरत को लगते हैं छप्पन भोग,
दो रोटी के वास्ते मर जाते हैं लोग…
2.नींद तो अब भी बहुत आती है मगर…समझा-बुझा के मुझे उठा देती हैं जिम्मेदारियां..!!
3.बड़ी जल्दी सीख लेता हूँ जिंदगी का सबक ,
गरीब बच्चा हूँ बात-बात पे जिद नहीं करता !!
4.नाराजगियों को कुछ दैर चुप रह कर मिटा लिया करो…
गलतियों पर बात करने से रिश्ते उलझ जाते हैं….
5.क्रोध हवा का वह झोंका है,जो बुद्धि के दीपक को बुझा देता है ।
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