Saturday, 7 January 2017

जिंदगी भर " सुख " कमाकर shayari

जिंदगी  भर  " सुख " कमाकर दरवाज़े से घर में लाने की कोशिश करते रहे

पता ही ना चला कि कब खिड़कियों से  " उम्र " निकल गई

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