Thursday, 29 December 2016

Beautiful poem.....

  मंजिल मिले ना मिले
           ये तो मुकदर की बात है!
           हम कोशिश भी ना करे
           ये तो गलत बात है...
        जिन्दगी जख्मो से भरी है,
     वक्त को मरहम बनाना सीख लो,
       हारना तो है एक दिन मौत से,
      फिलहाल  जिन्दगी जीना सीख लो..!!

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