Tuesday, 23 May 2017

रिश्तों के दलदल से... कैसे......shayari

1. सफर-ए-जिन्दगी मेँ जब कोई, मुश्किल मकाम आया;

ना गैरोँ ने तवज्जो दी, ना अपना कोई काम आया !

2. रिश्तों के दलदल से... कैसे निकलेंगे...

जब हर साज़िश के पीछे... अपने ही निकलेंगे...

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