1. सफर-ए-जिन्दगी मेँ जब कोई, मुश्किल मकाम आया;
ना गैरोँ ने तवज्जो दी, ना अपना कोई काम आया !
2. रिश्तों के दलदल से... कैसे निकलेंगे...
जब हर साज़िश के पीछे... अपने ही निकलेंगे...
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1. सफर-ए-जिन्दगी मेँ जब कोई, मुश्किल मकाम आया;
ना गैरोँ ने तवज्जो दी, ना अपना कोई काम आया !
2. रिश्तों के दलदल से... कैसे निकलेंगे...
जब हर साज़िश के पीछे... अपने ही निकलेंगे...
1.हद पार कर देते हैं जब हम किसी की खातिर..!
वो ही सिखा देते हैं हमें हदों में रहना....
2.मेरे गुनाह मुझे मेरे सामने ही गिनवा दो दोस्तों,
ख़्वाहिश है की जब कफ़न में छुप जाऊँ तो बुरा न कहना !!
किसी को दुःखी देखकर अगर आपको तकलीफ होती है.
तो यकीन मानिए, ईश्वर ने आपको इंसान बनाकर कोई गलती नहीं की है।